कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, इसका नाम सुनते हम घबरा जाते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। हालांकि इसका सही समय पर पता न चले तो, ये जानलेवा हो जाती है। ऐसे में आवश्यक है कि कैंसर होने से ही रोका जाए और इसके लिए अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीजें रोज शामिल करें जो कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं।
आयुर्वेद में ऐसी कईं औषधियों के बारे में जानकारी मिलती है, जो हमें जानलेवा बीमारियों से बचाने में मददगार हो सकती है। आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली ऐसी कई औषधियां हैं, जो आमतौर पर हमारे घर के किचन में ही मिल जाती हैं।
आइए, हम जानते हैं किचन में मौजूद उन खास आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में, जिनका नियमित सेवन कैंसर की बीमारी से बचा सकता है।
अश्वगंधा
अश्वगंधा कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। अश्वगंधा कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है और कैंसर की नई सेल्स भी नहीं बनने देता। यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है, जो कैंसर सेल्स को खत्म करने और कीमोथेरेपी से होने वाले दुष्प्रभाव से भी बचाता है। अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीजन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। अश्वगंधा व्हाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाने का काम करता है, जो कई गंभीर शारीरिक समस्याओं में लाभदायक है।
अदरक
वैसे तो अदरक कई बीमारियों में रामबाण की तरह काम करता है, लेकिन ये कैंसर को रोकने में भी उतना ही मददगार है। अदरक में कैंसर को होने से रोकने वाले तत्व मौजूद होते हैं। कैंसर के मरीजों को इसका प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। अदरक का रस या नींबू के साथ मिला कर इसे खाना बहुत फायदेमंद होता है। अदरक एंटी फंगल और एंटीऑक्सीडेंट से भरा होता है। अदरक कोलेस्ट्राल का स्तर कम करता है और खून का थक्का जमने से रोकता है।
हल्दी
खाने में उपयोग की जाने वाली हल्दी में कैंसर रोधी गुण होते हैं और यह शरीर को कैंसर से बचाती है। हल्दी में पाया जाने वाला कुर्कुमिन नामक तत्व कैंसर को खत्म करने में सहायक है। हल्दी को जितना कच्चा सेवन किया जाए, उतना अच्छा है। क्योंकि हल्दी पाउडर बनाने के लिए हल्दी को उबाला जाता है जिससे इसके कुछ पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। कच्ची हल्दी का रस पीना बहुत फायदेमंद होगा। हम इसकी सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं।
गिलोय/गुडुची:
गिलोय (टीनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) जिसे गुडुची भी कहा जाता है, का उपयोग आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाओं में इसके इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक में कैंसर का इलाज करने का प्रयास करते समय, कभी-कभी पारम्परिक कैंसर उपचार के लिए गिलोय को एक सहायक चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जाता है, जो उपचार में काफी मददगार है।
कालमेघ/राचा वेमू:
कालमेघ पौधे का भी आयुर्वेद में बहुत महत्व है। कालमेघ में कैंसरोलिटिक प्रभाव होता है। कालमेघ कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करता है और प्रभावी रूप से नष्ट कर सकता है। कालमेघ का अर्क मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। इसके अलावा, कालमेघ विभिन्न प्रकार के कैंसर पैदा करने वाले और रोगजनक एजेंटों के खिलाफ भी असरकारक है।
त्रिफला
त्रिफला अपने कैंसर-विरोधी गुणों के लिए जाना जाता है। यह वात, पित्त और अतिरिक्त कफ को संतुलित करता है। अतिरिक्त कफ को दूर करता है और अतिरिक्त वसा को हटाने में सहायता करता है। यह मधुमेह में भी सहायक है। त्रिफला सामान्य भूख, अच्छे पाचन को भी बढ़ावा देता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं और हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।
यह कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियां हैं, जिनका उपयोग कर हम कैंसर को बढ़ने से रोक सकते हैं। यह कैंसर के उपचार में मददगार हैं। भीलवाड़ा स्थित नवग्रह आश्रम में भी इसी तरह की कैंसर को खत्म करने में सहायक औषधियों से पवतान् आटा तैयार किया जाता है, जो कैंसर रोगियों के लिए काफी लाभदायक है।