क्या आयुर्वेद की मदद से आप ब्रेन ट्यूमर से पा सकते हैं छुटकारा? जानें नुस्खें

brain tumor ka ayurvedic ilaj

जिस तरह व्यक्ति के लिए उसके शरीर का हर एक अंग महत्वपूर्ण है, ठीक उसी प्रकार मस्तिष्क यानी दिमाग भी महत्वपूर्ण है। दिमाग के बिना व्यक्ति का कोई भी काम करना असंभव है क्योंकि ये हमारे शरीर को नियंत्रण करने का काम करता है। मस्तिष्क हमारे शरीर का बेहद ही कोमल अंग है। यह करोटि के कपाल के अंदर स्थित होता है। मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उसके ऊपर तीन झिल्लिया होती हैं। बावजूद इसके मस्तिष्क को कई गंभीर बीमारियां जकड़ लेती है। मस्तिष्क में होने वाली सबसे खतरनाक बीमारी का नाम है ब्रेन ट्यूमर। इस बीमारी के कारण हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

शरीर की तमाम प्रणालियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए मस्तिष्क का स्वस्थ रहना सबसे जरूरी है, लेकिन ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर देता है। इस बीमारी के चलते दिमाग के अंदर ट्यूमर की गांठें बढ़ने लगती हैं और ऐसे में स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो जाता है। जब भी ब्रेन ट्यूमर के इलाज की बात सामने आती है तो सबसे पहले एलोपैथी दवाओं का ही जिक्र होता है या फिर सर्जरी के जरिए ट्यूमर की गांठ को हटाए जाने की बात होती है। लेकिन ब्रेन ट्यूमर बीमारी के इलाज के लिए आयुर्वेद भी एक बेहतर उपाय साबित हुआ है। साथ ही इसके सफल परिणाम भी सामने आए हैं। हम आपको आज इस आर्टिकल के जरिए ब्रेन ट्यूमर क्या होता है?, ब्रेन ट्यूमर क्यों होता है?, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण क्या हैं?, ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम कैसे कर सकते हैं और ब्रेन ट्यूमर से बचने के आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताएंगे। ये सभी जानने के लिए आप आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

ब्रेन ट्यूमर क्या होता है?

जब किसी व्यक्ति के दिमाग में अनियंत्रित सेल्स और टिश्यू की गांठ बन जाती है तो यह ब्रेन ट्यूमर कहलाती है। जब ये ब्रेन ट्यूमर दिमाग में पनपना शुरू होता है तो इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। लेकिन कई बार ये कैंसर सेल्स शरीर के अन्य हिस्सों में भी फ़ैल जाते हैं, इसे सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर या फिर मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज शुरू हो जाए तो इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है।

ब्रेन ट्यूमर होने का क्या कारण है?

जब दिमाग या उसके आसपास डीएनए में परिवर्तन होने लगता है, तो ब्रेन ट्यूमर होता है। हालांकि, डीएनए परिवर्तन किन कारणों से होता है ये अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है। कई बार कुछ केमिकल के संपर्क में आने से इनका जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा जो लोग ज्यादातर रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं, उनमें भी इसका खतरा बढ़ा हुआ देखा गया है। वैसे तो ब्रेन ट्यूमर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यदि आपके परिवार में कोई इस बीमारी से पहले से ग्रसित है तो उसे ये बीमारी होने की ज्यादा संभावना रहती है। हालाँकि, ये बीमारी बुजुर्ग लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण क्या होते हैं?

  • सिर में दर्द या दबाव होना
  • मतली या उल्टी लगातार होते रहना
  • मूड बदलते रहना
  • आंखों की समस्याएं, जैसे धुंधला या दोहरी दृष्टि
  • एक हाथ या पैर ठीक से काम ना करना
  • शरीरिक और मानसिक संतुलन में दिक्कत होना
  • हमेशा थका हुआ महसूस करना
  • सीखने की क्षमता कम होना
  • सुनने और बोलने में दिक्कत होना
  • कई बार दौरे पड़ना
  • चलने में कठिनाई
  • चेहरे का सुन्न होना या झुनझुनी होना
  • मिर्गी के लक्षण पैदा होना
  • हाथ- पैर फड़कना

ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम कैसे कर सकते हैं?

हम आपको कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिनका पालन करके ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम की जा सकती है। आइए जानते हैं।

फल और सब्जियों का सेवन- ब्रेन ट्यूमर को रोकने में फल और सब्जियों का सेवन बहुत फायदेमंद साबित होता है। ऐसे में ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को इसका नियमित तौर पर सेवन करते रहना चाहिए।

तंबाकू से रहें कोसो दूर- ब्रेन ट्यूमर के मरीज तंबाकू का जरा भी सेवन ना करें। ये आपकी बीमारी को और बढ़ा सकता है।

वजन को रखें बराबर- ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित मरीज को अपने वजन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जरा भी वजन कम होने पर कमजोरी आ सकती है और इससे कई बीमारियां आपके शरीर में प्रवेश कर सकती है।

टीकाकरण कराना- हर तरह के कैंसर से बचाव के लिए आपको समय-समय पर टीकाकरण कराते रहना चाहिए।

ब्रेन ट्यूमर को रोकने में आयुर्वेदिक उपाय कैसे मदद करेंगे?

आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है जो प्रकृति में मौजूद जड़ी-बूटियों का उपयोग करती है और इन जड़ी-बूटियों में मौजूद शक्ति का उपयोग करके हर्बल उपचार तैयार करती है। ये उपचार मिलावट रहित होते हैं 100 प्रतिशत सुरक्षित और प्राकृतिक होते हैं। शायद आपको ये बात जानकर हैरानी हो सकती है कि ब्रेन ट्यूमर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी को आयुर्वेदिक दवाइयाँ ठीक कर सकती है। कुछ शोध में भी ये सामने आया है कि ब्रेन ट्यूमर के लिए आयुर्वेदिक दवाई असर जरूर दिखाती हैं। पिछले कई सालों से आयुर्वेदिक दवाइयों के इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर के बढ़ने की रफ़्तार को रोकने पर रिसर्च भी चल रही है। तो चलिए ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।

अश्वगंधा – अश्वगंधा बेहद ही औषधीय गुणों वाला पौधा है। इसमें शरीरिक क्षमता बढ़ाने वाले तत्वों के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के भी गुण मौजूद होते हैं। अश्वगंधा में स्टिमुलेटिंग और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में कई आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। साथ ही ये मस्तिष्क में भी सुधार करते हैं। इसके अलावा अश्वगंधा दिमाग पर हानिकारक रेडिएशन से बढ़ने वाले बुरे प्रभाव को भी कम करने में मददगार साबित होता है।

हल्दी – हल्दी कई बड़ी बीमारियों से लड़कर उसे खत्म करने में मदद करती है। इसमें करक्यूमिन मौजूद होता है जो शरीर से घातक कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करते हैं। इसमें एक ऐसा भी एंटी-ऑक्सीडेंट होता है जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा करक्यूमिन को ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए सबसे प्रभावशाली माना गया है।

गुगुल – गुगुल शरीर में जितनी भी क्षतिग्रस्त कोशिकाएं हैं, उन्हें फिर से पुनर्जीवित करने में मदद करता है। साथ ही ये अच्छा और स्वस्थ स्वास्थय भी प्रदान करता है। गुगुल के सेवन से शरीर की ऑक्सीडेशन कैपेसिटी बढ़ती है और साथ ही ये ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने में काफी मददगार साबित होता है।

व्हीटग्रास – गेहूं की तरह ही उसकी घास में भी में कई पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। ये रक्त की ऑक्सीजन क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही व्हीटग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में कोशिकाओं की शक्ति को बढ़ाते हैं। ब्रेन ट्यूमर के चलते लिवर और आंत जैसे और भी कई अंग सुस्त हो जाते हैं, ऐसे में व्हीटग्रास का रस उन्हें शक्ति देने का काम करता है। गेहूं की तरह की उसकी घास में भी ट्यूमर और कई अन्य बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है।

सफेद देवदार – सफेद देवदार को बिली देवदारी भी कहा जाता है। यह पेड़ हमारे देश में लकड़ी का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है। लेकिन आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि इसे आयुर्वेदिक दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर सफ़ेद देवदार को गठिया रोग के इलाज के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। लेकिन इस पेड़ की कुछ किस्मों को हृदय रोग और ट्यूमर के उपचार के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

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