
हम सभी इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है, अगर इसके लक्षणों की सही समय पर पहचान और इलाज न हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। इसी के चलते हर साल हजारों लोगों की कैंसर से मौत भी हो जाती है। ऐसा ही कैंसर का एक जानलेवा प्रकार फेफड़ों का कैंसर भी है, जो धीरे धीरे आपके फेफड़ों को बहुत ज्यादा कमजोर कर देता है और रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। फेफड़ों के कैंसर का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है तो धूम्रपान और शराब का सेवन करते हैं। हालांकि ऐसा नहीं करने वाले लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि हम प्रथम अवस्था में ही फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों को पहचानकर समय पर इसका इलाज करवाएं। अब सवाल उठता है कि फेफड़ों के कैंसर के प्रारंभिक लक्षण क्या है? फेफड़ों के कैंसर का क्या इलाज है? या फिर क्या आयुर्वेद से फेफड़ों का कैंसर का उपचार संभव हैं?
आज हम आपके इन्हीं सवालों को केन्द्र में रखते हुए फेफड़ों का कैंसर, फेफड़ों के कैंसर के लक्षण, फेफड़ों का कैंसर का उपचार और फेफड़ों का कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार क्या है, पर विस्तार से बताएंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
फेफड़ों का कैंसर क्या होता है?
जब फेफड़ों को लाइन करने वाली कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है तब फेफड़ों पर इसका बहुत बूरा प्रभाव पड़ता है और यह कैंसर का रूप ले लेता है। यह इसलिए होता है कि जब सांस के जरिये धुआं हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो वह फेफड़ोंं के उत्तकों में जमने लगता है और कोशिकाओं को प्रभावित करता है जिससे कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती है।
फेफड़ों का कैंसर कितने प्रकार का होता है?
कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति के आधार फेफड़ों के कैंसर को दो भागों में बांटा जाता है, जो इस प्रकार है!
1. स्मॉल सेल लंग कैंसर– यह अधिक धूम्रपान करने वाले लोगों में होता है। यह एक प्रकार की कोशिकाओं से बना कैंसर होता है, जिसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की भी संभावना होती है।
2. नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर– यह कैंसर का सामान्य रूप होता है, जो करीब 85 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर पीड़ितों में होता है।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण क्या है?
लंबे समय तक खांसी का रहना
छाती में दर्द होना
सांस लेने में कठिनाई
हर समय थकावट महसूस होना
खाँसी में खून आना
सिर दर्द
भूख न लगना
हड्डियों में दर्द
आवाज का बैठना
फेफड़ों के कैंसर का इलाज
फेफड़ों के कैंसर का इलाज विभिन्न प्रकार से किया जाता है। अगर हम ऐलोपैथी की बात करें तो
नॉन–स्मॉल सेल लंग कैंसर रोगियों का उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरपी, टारगेट थेरेपी आदि से किया जाता है। जबकि स्मॉल सेल कैंसर वाले मरीजों का उपचार रेडिएशन थेरपी और कीमोथेरेपी के द्वारा होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या फेफड़ों के कैंसर का इलाज इन्हीं तरीकों से संंभव है या फिर आयुर्वेद में भी फेफड़ों के कैंसर का कोई उपचार है? तो इसका जवाब यह है कि आयुर्वेद में भी औषधियों के जरिये कुछ ऐसे उपाय खोजे गए हैं जो फेफड़ों के कैंसर के इलाज में बहुत ही उपयोगी साबित हो रहे हैं और फेफड़ों के कैंसर से राहत भी दिला रहे हैं।
फेफड़ों के कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज में यह कुछ जड़ी बूटियों बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रही है।
मुलेठी — मुलेठी कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक है। यह वात, कफ और पित्त को शांत कर व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
भटकटैया — भटकटैया पूरी तरह से कांटेदार पौधा है, जिसका उपयोग फेफड़ों के कैंसर की दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। यह फेफड़ोंं के कैंसर के उपचार में उपयोगी है।
आंवला — आंवला, आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में इस्तेमाल होता है। यह कईं प्रकार के कैंसर से बचाव में मददगार है।
त्रिफला — त्रिफला कईं गंभीर बीमारियों से बचाता है। यह कैंसर के उपचार में भी लाभकारी है। व्यक्ति को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखता है।
इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी कुछ ऐसे मिश्रण तैयार किए गए हैं जो फेफड़ोंं के कैंसर रोग के उपचार में सहायक है।
राजस्थान के भीलवाड़ा का श्री नवगृह आश्रम सेवा संस्थान भी इन्हीं में से एक है, जिनके द्वारा तैयार किया गया पवतान कैंसर केयर आटा कैसर रोगियों की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के साथ ही रोग के उपचार में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। पवतान कैंसर केयर आटा में राजगीरा, मूंग, सिंघाड़ा, कट्टू, सांवा, रागी आदि महत्वपूर्ण जड़ी बूटियां है जो कैंसर के इलाज में बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है। इसके साथ ही यह कैंसर रोगी के कीमोथेरपी रेडिएशन के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। पवतान आरोग्य आहार को 5 हजार से अधिक रोगियों पर शोध के बाद तैयार किया गया हैं।
यह थे कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपाय जो फेफड़ों के कैंसर के उपचार में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इसके अलावा धूम्रपान से दूरी, धुएं के सम्पर्क में नहीं रहने से भी फेफड़ोंं के कैंसर से बचा जा सकता है।