गाल का कैंसर क्या होता है? क्या आयुर्वेदिक इलाज के ज़रिये गाल के कैंसर को ठीक किया जा सकता है?

गाल के कैंसर

दुनियभर में इस वक्त अगर किसी बीमारी को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है तो वो है कैंसर। आज के समय में कैंसर कोई बीमारी नहीं रह गई है बल्कि ये महामारी का रूप ले चुकी है। कैंसर इतनी खतरनाक बीमारी है जिसका नाम सुनते ही व्यक्ति सहम जाता है। आज के समय में कैंसर के मामले में तेजी से इजाफा हो रहा है। हर साल करोड़ों लोग सिर्फ कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण अपनी जाएं गवां देते हैं। कैंसर होने के लिए हमारी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खान-पान जिम्मेदार होते हैं। कई बार जेनेटिक मामलों के कारण भी कैंसर हो जाता है। कैंसर किसी एक तरह का नहीं बल्कि कई तरह का होता है। गाल का कैंसर दुर्लभ होता है. ये हर 15 में से एक व्यक्ति को होता है। इसे ओरल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में हम आपको आज गाल के कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बता रहे हैं।

कैंसर का इलाज काफी महंगा होता है। ऐसे में आम व्यक्ति इलाज के अभाव में ही अपनी जान गवां देता है। बता दें कैंसर के इलाज के तौर पर कीमोथैरेपी की जाती है। लेकिन आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि आप प्राकृतिक तौर पर किए जाने वाले आयुर्वेदिक इलाज के जरिए भी आप गाल के कैंसर को ठीक कर सकते हैं। जी हां…. कुछ घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे कैंसर के इलाज में कारगर साबित होते हैं।

कैंसर क्या और क्यों होता है?

हमारे शरीर में जो कोशिकाएं यानी सेल्स मौजूद होते हैं, उनमें ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जो बाद में चलकर कैंसर का रूप ले लेते हैं। पहला बदलाव किसी भी कोशिका का अनियंत्रित होकर बढ़ना और दूसरा किसी ऑर्गन के सेल बहुत ज्यादा बढ़ते हुए अपनी जगह से दूसरी जगह तक फ़ैल जाना। इन दोनों स्थिति में कैंसर होता है।

कैंसर कितने प्रकार के होते हैं?

आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसान के शरीर में एक या दो नहीं बल्कि करीब 250 प्रकार के कैंसर होते हैं। हर प्रकार एक दूसरे से अलग होते है और ऐसे में इनका इलाज भी अलग-अलग है।

आमतौर पर इनके सैंकड़ों प्रकार के कैंसर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। जो इस प्रकार है। 

  1. स्किन की लाइनिंग से बनने वाले कैंसर को मेडिकल भाषा में कार्सिनोमा कहा जाता है।
  2. मसल्स या बोन के कैंसर को सारकोमा कहते हैं।
  3. ब्लड के कैंसर को लिंफोमा, ल्यूकीमिया और माइलोमा कहा जाता है।

क्या है गाल का कैंसर?

जब होंठ, जीभ, गाल, मुंह के तल, कठोर और नरम तालु या फिर साइनस में कैंसर होता है तो वो ओरल कैंसर की श्रेणी में आता है। ओरल कैंसर में ही गाल का कैंसर शामिल है। दरअसल, जब गाल के टिश्यू में कैंसर सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो ये धीरे-धीरे ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। फिर उस हिस्से में घाव या गठान बन जाती है, जो अपने आप से ठीक नहीं हो पाती है। ऐसे में ये आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेती है। अगर इसका जल्द से जल्द इलाज नहीं किया जाए तो ये खतरा बन सकता है।

गाल का कैंसर कैसे होता है?

गाल का कैंसर होने की सबसे मुख्य वजह है तंबाकू का सेवन। दरअसल, तंबाकू के लगातार सेवन करने से मुंह के अंदर की म्यूकोसा गलने लग जाती है। कुछ ही दिनों में ये कैंसर का कारण बन जाती हैं। साथ ही अस्‍वस्‍थ खानपान और अनहेल्‍दी लाइफस्टाइल भी। इसके अलावा सही ढंग से मुंह की साफ-सफाई न करना और जेनेटिक कारणों से भी मुंह और गाल के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। शुरुआत में तो इसमें मुंह में छाले या फिर थोड़ा दर्द होता है, लेकिन धीरे-धीरे ये बीमारी बड़ा रूप ले लेती है। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ये बीमारी ज्यादा पाई जाती है।

गाल के कैंसर के लक्षण क्या हैं?

  • मुंह के अंदर गांठ या फिर दर्द होना
  • गाल के अंदरूनी हिस्से पर सफेद, लाल या काले धब्बे होना
  • मुंह के अंदर हुई गांठ में दर्द होना
  • मुंह में दर्द या सुन्न हो जाना
  • जबड़े को हिलाने में दिक्कत
  • कान में दर्द
  • गला बैठना
  • दांतों में दर्द होना
  • जबड़े में दर्द या सूजन
  • खाने या पीन के दौरान दर्द का बढ़ना
  • गले में कुछ फंसा हुआ सा महसूस होना
  • मुंह से पित्त निकलना
  • मुंह से बदबू आना

गाल के कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेद में हर बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज बताया गया है। इसी तरह कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी इलाज आयुर्वेद के पास मौजूद है। हम आपको घर में मौजूद उन आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बता रहे हैं, जो गाल के कैंसर को ठीक करने में मदद करेंगी।

नीम

नीम शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसमें कई ऐसे पोषण तत्व मौजूद होते हैं, जो ट्यूमर को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। दरअसल, नीम मोनोसाइट्स की साइटोटोक्सिक क्षमता को बढ़ाता है और साथ ही ये ट्यूमर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

हल्दी और तुलसी

हल्दी और तुलसी दोनों में ही कई चमत्कारी गुण होते हैं। आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी पाए जाते हैं। डॉक्टर्स का भी दावा है कि तुलसी और हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर को रोकने में मदद करते हैं।

गाजर

गाजर में बीटा कैरोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये कैंसर विरोध माना जाता है। साथ ही गाजर में कई ऐसे एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ओरल कैंसर के साथ ही और भी कई बीमारियों को खत्म करने में मदद करते हैं। गाजर में falcarinol नामक पदार्थ भी पाया जाता है तो कैंसर को दूर करने में मदद करता है।

अंगूर के बीज

काले अंगूर के बीज में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट ऐसे फ्री रेडिकल्‍स को खत्म करने में मदद करते हैं, जो मुंह में मौजूद सेल्स को नुक्सान पहुंचाते हैं।

ग्रीन टी

ग्रीन टी शरीर को अनगिनत फ़ायदे पहुंचाती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि, ग्रीन टी कैंसर के इलाज में भी कारगर साबित होती है। मुंह के कैंसर के मरीज यदि रोजाना इसका सेवन करेंगे तो इससे रोकथाम में काफी मदद मिल सकेगी।

करेले का जूस

करेले का जूस भी शरीर को ढेरों फायदे पहुंचाता है। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा कैंसर को फैलने से रोकने में मदद करना है। दरअसल, करेले में अल्फा एलिस्टेरिक एसिड और dihydroxy alpha eleostearic एसिड मौजूद होते हैं। ये कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद करते हैं। रोजाना करेले के जूस का सेवन करने से गाल और मुंह के कैंसर से आप कोसो दूर रहेंगे।

अस्वीकरण

इस लेख में दी गई सलाह, जानकारी और सुझाव सिर्फ एक सूचना देने के उद्देश्य से दी गई है। इसे आप पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ले सकते हैं। ना ही हमारी वेबसाइट इस लेख में दी गई सूचना को लेकर किसी तरह का दावा करती है। इस बीमारी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

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